फिर भी नही आऊंगी
सफर मिला है अकेला सा
अकेले में छिप जाऊंगी।
लाल चुनर ओढ़ कर,
कब्र में दब जाऊंगी।।
फिर भी नहीं आऊंगी
आसमान है बहुत बड़ा
पर पिंजरों में बंद हो जाऊंगी।
हरे पेड़ की सुंदर शाखा
मौन रहकर कट जाऊंगी।।
फिर भी नहीं आऊंगी
...
अकेले में छिप जाऊंगी।
लाल चुनर ओढ़ कर,
कब्र में दब जाऊंगी।।
फिर भी नहीं आऊंगी
आसमान है बहुत बड़ा
पर पिंजरों में बंद हो जाऊंगी।
हरे पेड़ की सुंदर शाखा
मौन रहकर कट जाऊंगी।।
फिर भी नहीं आऊंगी
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