मै था बंद पिंजरे मै
मै आजाद हू ओर तुम, हो प्यारे बन्द कमरे मै
मै विचरु नभ मै फ़्री होकर,नही अब तेरे पिंजरे मै
कि तूने भी तो रे मानुष, किए है जुल्म हम पर कई
रखा था बन्द...
मै विचरु नभ मै फ़्री होकर,नही अब तेरे पिंजरे मै
कि तूने भी तो रे मानुष, किए है जुल्म हम पर कई
रखा था बन्द...