...

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कहां हैं
दिन में दौड़ते रहते पर रात को भी कोई अब सोता कहां हैं,

बस कहने को है पर एक चेहरे से भी प्यार अब होता कहां हैं,

सब करते हैं दिखावा कोई किसी के लिए सच्चा अब रोता कहां हैं,

अपनी अकड़ में रहते हैं रिश्ते में करता अब कोई समझौता कहां हैं,

झूठ,ईर्षा,बैर से भर गए मन को शान्ति की राह कोई दिखाता कहां हैं,

बस कुचलकर आगे निकल जाएं किसी गिरे को कोई अब उठाता कहां हैं,

ख़ुद गिरकर संभल जायेगा ठोकरों से बचना कोई अब सिखाता कहां हैं,

बड़े अच्छे से छलते हैं कोई किसी को दिलसे अब अपनाता कहां हैं,

कितनी करेगा बुराई बेवफाई के शहर में 'ताज' तू भी वफ़ा अब निभाता कहां हैं ।
© taj