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खलचरित गाथा
खलचरित गाथा

मेरे लायक कोई सेवा हो तो बोलिए
ठीकेदार बोलता है लोक निर्माण विभाग के अधिकारी से
दलाल ॠण प्रबंधकों से
नेता जनता से

अधर्मी बोलता है सबसे उँची आवाज़ में धर्म खतरे में है
अन्यायी बोलता है चीख़ चीख़ कर
न्याय खतरे में है
बोलता है सबसे मीठे स्वर में स्वदेशी लूटेरा
खतरे में है देश
और सत्तालोलुप लार टपकाते जीभ लपलपाते
लोकतंत्र खतरे में है

सब देख लेंगे सब हो जायेगा चिंता की बात नहीं
फोन पर थानेदार बोलता है एक रसूखदार आदमी से
नेता बोलता है वारदात की जगह ज़मा हुई भीड़ से

एक बार हमें भी मौका दें
बोलता है चुनाव का उम्मीदवार एक भरी जनसभा में
घोषणा करता है अबकी बार हमारी सरकार

आसमान में मंडराने लगे हैं गिद्ध
एक मरते जानवर को सबसे पहले देखता है वही
उसके बाद चमड़े का कारोबारी
फिर अंत में हड्डियों का

सचमुच कितना बड़ा पुण्यात्मा है वह
औरों के पसीने से अरबों कमानेवाला
जब बड़े बड़े दानियों में शुमार होता है

































© daya shankar Sharan