...

26 views

तुम्हारे ख्याल
मैं अक्सर शामे तुम्हारे ख्यालों के संग गुजरता हूं,
दुआ में तुम्हे मांगता तो शायद साथ होती तुम,
मैं तो सिर्फ तुम्हारे लिए ही दुआ मांगता हूं।।

मेरी आह बददुआ न बन जाए तुम्हारे लिए सोचकर मैं कम ही रोता हूं,
बेचैनी से जब खून उतर आए आंखो में मैं तुम्हारी तस्वीर सीने से लगाकर सोता हूं।।

बंद अपने कमरे में मैं अक्सर तुम्हारी तस्वीर खोलता हूं,
तुम से जो न कह पाया तुम्हारी तस्वीर से बोलता हूं।।


रोज रोज की चिक चिक से भला सोचता हु मैं तुम्हे भूल जाता हूं,
हर बार अपनी अना तोड़कर, तुम्हारे ख्यालों के झूलों पर झूल जाता हूं।

जैसे जैसे शाम चढ़ती है मेरी अल्मस्तगी बढ़ती है,
दो घूट पी लूं तुम्हारे आंखो के फिर कहा कोई ज़ाम चढ़ती है।।

कभी कभी सोचता हु इश्क मुझे तुमसे है या तुम्हारे ख्यालों से,
नशा तो मुझे तुम्हारा चढ़ता है दुनिया को भ्रम है प्यालों से।।

तुम मेरी हो नही सकती मैं भलीभाती जनता हूं,
फरेबी हो तुम मासूमियत की शकल में,
तुमसे जायदा अब मैं तुम्हे पहचानता हूं।।


© @bhaskar