...

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ओ बंदेया
उठ जा रे तु तो ओ बंदेया
जग जा रे तु तो ओ बंदेया

आंखों से क्यों अश्क बहाना
रातों को क्यों तन्हा बिताना
बैठा है क्यों तकलीफ़ में
थोड़ा तो इनसे लड़ के बताना

उठ जा रे तु तो ओ बंदेया
जग जा रे तु तो ओ बंदेया

रूठी है जो मंजिल तेरी
तो हंस के इसे थोड़ा मनाना
क्यों बातों में तुम आग दिखाओ
है मंजिल तो करके बताना

उठ जा रे तु तो ओ बंदेया
जग जा रे तु तो ओ बंदेया

आज तेरे संग कोई नहीं है
फिर भी तुझको चलना तो होगा
सुबहा ऐसे रोशन ना होगी
रातों को तुझको जगना तो होगा

उठ जा रे तु तो ओ बंदेया
जग जा रे तु तो ओ बंदेया

वास्ता रख मंजिल से खुद का
एक राह पे तुझको चलना होगा
उगना है तुझको फिर से यहां पे
तो पहले तुझको ढलना होगा

उठ जा रे तु तो ओ बंदेया
जग जा रे तु तो ओ बंदेया

गगन को देखो फ़ैला है कैसा
तुम भी बन जाओ आसमां के जैसा
जो ना कभी ख़त्म हो यहां पे
बनना है तुझको समंदर के जैसा

उठ जा रे तु तो ओ बंदेया
जग जा रे तु तो ओ बंदेया

नम है आंखें तो बंद कर लें तु तो
दिखाना नहीं ये दर्द सबको
दुनिया बड़ी बेदर्द ऐसी
समझ ना सकेंगी ये तो हमको

उठ जा रे तु तो ओ बंदेया
जग जा रे तु तो ओ बंदेया

बेजार क्यों तु होता है ऐसे
जैसे हुआ है बर्बाद सब तो
तु ना देख जिंदगी को ऐसे
यहां पे बाकी सब कुछ सब तो

उठ जा रे तु तो ओ बंदेया
जग जा रे तु तो ओ बंदेया

शब जो बिती जैसी तेरी
भूला दे तु तो उसको सुबहा पे
हार गया तो क्या है मलाल
मत ले हार का नाम जुबां पे

उठ जा रे तु तो ओ बंदेया
जग जा रे तु तो ओ बंदेया

वक्त यहां पे रूकता कहां
चलना है उसके संग यहां
आबाद होके जीना है तुझको
हो जाएं दुनिया दंग यहां

उठ जा रे तु तो ओ बंदेया
जग जा रे तु तो ओ बंदेया

पल भर की जिंदगी
रोते हो फिर भी
मुकद्दर के आगे
झुकते हो फिर भी

उठ जा रे तु तो ओ बंदेया
जग जा रे तु तो ओ बंदेया

सहमी है जो उम्मीदें तेरी
अधूरी है जो नींदे तेरी
मत डर तु तो ख़ुदा के बंदेया
कर लें तु तो मेहनत तेरी

उठ जा रे तु तो ओ बंदेया
जग जा रे तु तो ओ बंदेया

झुक जाएगा आसमां ये भी
जुड़ जाएगा टूटा समां भी
फ़िक्र क्या करनी तुझको यहां पे
फ़िक्र से क्या जुड़ेगा कल भी

उठ जा रे तु तो ओ बंदेया
जग जा रे तु तो ओ बंदेया

आवाज़ सुन जिंदगी की यहां पे
वो भी खुशियां देना चाहें
पर तु है बैठा रूठा रूठा
क्यों तु यहां पे मरना चाहें

उठ जा रे तु तो ओ बंदेया
जग जा रे तु तो ओ बंदेया

तु ही वो ताक़त है तुझमें वो बात सारी
सुबह को कर दें रोशन अभी तो पूरी रात सारी
मत सोच ज़ेहन में तु ज्यादा ओ बंदेया
कर लें मुकम्मल ख्वाब अब तेरी बारी

उठ जा रे तु तो ओ बंदेया
जग जा रे तु तो ओ बंदेया

-उत्सव कुलदीप
© utsav kuldeep