...

4 views

काश वही दिन फिर आ जाते

© Nand Gopal Agnihotri
#हिंदी साहित्य दर्पण
#शीर्षक - काश वही दिन फिर आ जाते
स्वरचित -नन्द गोपाल अग्निहोत्री
-----------------------------
काश वही दिन फिर आ जाते,
वही खेल और वही तमाशे ।
हिलमिल कर त्योहार मनाते,
यूं झगड़े दंगे ना होते ।
कितना प्यारा देश हमारा,
विश्व पटल पर सबसे न्यारा ।
सर्वधर्म समभाव यहाँ का,
सदा रहा यहाँ भाईचारा ।
किसने है ये आग लगाई,
कहाँ से आए ये दंगाई ।
प्रेम और विश्वास जहाँ था,
क्यों पैदा हुई गहरी खाई ।
दुश्मन देश हैं घात लगाए,
क्यों अपने ही हुए पराए ।
यक्ष प्रश्न गंभीर है लेकिन,
कोई उत्तर समझ न आए ।
हे ईश्वर विनती है तुमसे,
दूर करो इस अंधकार को,
दूर करो मन के विकार को ।
ऐसा कोई चमत्कार हो,
मानवता फिर से बहाल हो ।