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अदृश्य भाव
#Invisible हम सबके पास भाव तल है
जिसमें तकरीबन एक दिन में 65 ,000 भाव उठते ही रहते हैं
हैं ये भाव इतने मजबूत अपना हर असर बख़ूबी रखते हैं
अगर इन्हें ढूँढने कोई निकले ,ये अदृश्य ही रहते हैं
फिर भी हर मानव की गाथा यही रचते हैं
उठा जो भावों का तूफ़ान कोई इसे समझ नहीं पता है
हर मानव जीवन इस चक्रव्यूह में फंसता चला जाता है
कभी ये इतना मायूस बना देते इंसान को
वो केवल शून्य तकता हुआ शून्य ही बन जाता है
मुहब्बत में घायल करने वाले भाव मृत्यु
की चौखट पर ले जाते हैं
हे अदृश्य भावों क्यों इतना विकराल बन जाते हो
नकरात्मक भाव ज्यादा रहते ,जल्दी ये आते हैं
सकारात्मक भाव पहुँचने में थोड़ा समय लगाते हैं
हैं भाव तल अवचेतन माइंड में
वैज्ञानिक भी मानव मन समझ नहीं पाते हैं
ये सारा जगत 'अदृश्य 'की ही रचना है
तभी हर अदृश्य चीज़ गज़ब दिखा रही है
आया एक 'कोरोना 'अदृश्य ,मृत्यु तांडव कर रहा है
वाह रे प्रभु ,तू अदभुत ,तेरी अदृश्य--दृश्य रचना भी खूब ,खूब ।