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खामोशियों का साज
जिंदगी साज बने तरुन्नुम रहे
जिंदगी खामोशियों का घर ना बने
जीवन में खुशियां आती जाती रहें
चहचहाती चिड़ियों का आना जाना हो
दीवारों पर आलीशान तस्वीरें नहीं हों
उन पर रंग बिरंगी आड़ी टेड़ी रेखाएं हों
सजी दीवारों में एक वृद्ध युगल रहते हैं
ख्वाबों का आशियाना हमें मजार लगते हैं
जहां जब दिन तारिखों से ना मतलब रहे
सर्द खांसी जुखाम बुखार साथ रहते हों
धूप पेड़ों और शरीर को दिखाना जरूरी हो
जीवन सांसों पर नहीं खुशियों का डेरा हो
एकाकी पन प्रकृति के साथ ऊर्जा देता है
बस्ती में अकेलापन नकारात्मक प्रभाव देता है
खामोशियां जब शोर करतीं हैं ईश्वर ही सहारा होता है