शुक्रिया! WRITCO परिवार...
writco से सीखा मैंने...
मेरे भीतर का लेखन कहीं ओझल हो जाता,
अगर writco का साथ मिला न होता।
लफ्ज़ों और लहज़े का मायना समझ न आता अगर writco ने अभ्यास सिखाया न होता।
मुझे कौन पढ़ेगा इस बात से परे
मैं कितनों को पढ़ रही हूं,
मैं जो लिखती हूं क्या खुद पर लागू कर रही हूं,
हर दफा मैंने यह...
मेरे भीतर का लेखन कहीं ओझल हो जाता,
अगर writco का साथ मिला न होता।
लफ्ज़ों और लहज़े का मायना समझ न आता अगर writco ने अभ्यास सिखाया न होता।
मुझे कौन पढ़ेगा इस बात से परे
मैं कितनों को पढ़ रही हूं,
मैं जो लिखती हूं क्या खुद पर लागू कर रही हूं,
हर दफा मैंने यह...