...

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मैं भी कुछ हूँ।
"तू कुछ नही है"
लोग यही कह
अक्सर ही
औकात बताते हैं मेरी
वे गलत हैं
पूरा नही
पर थोड़ा जरूर
मैं पढ़ा लिखा हूँ
(उन लोगों से तो कहीं ज्यादा)
पर पास मेरे
कोई बड़ा रोजगार नही है
वे इसीलिए सोचते हैं
कि मैं बेकार हूँ
हाँ, अभी मेरी कोई इज्जत नही
पूरा अरसा बीतने को है
जब तारीफ सुना था
और आज कल तो
छोटी-मोटी बातों पर भी
सौ बात सुन रहा हूँ
वे समझ ही नही पायें कभी
कि वे मेरे लिए
मायने रखते हैं
कुछ भी नही
लेकिन एक बात जरूर है
कि उनकी बकवास
है बड़ा असरदार
उन्होंने ऐसा बना दिया
अब तो मुझे
कि गर कोई पूछे
तो मैं दूँ बता
मौत से पहले का
नजारा भी
निराशा की वो दरिया
जो बहती है मौत तक
धीरे-धीरे ही सही
मैं उसमे डूब रहा हूँ
जो हो, पर किताबों में घुसे-घुसे
मैंने वक्त बर्बाद नही किया
जो उन्हें बेरोजगारी लग रहा
वही मेरी तैयारी है
मैं यूँ ही गुजर जाने वाला नही
पहले उन्हें
गुजरना होगा मुझसे
मैं साधारण नही हूँ
कहानी लिखता हूँ
मैं एक कलमकार हूँ।

© prabhat