...

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हर पहर तेरे संग हम तबाह होते है
लबों से मेरे चेहरे को सवारे ,
तू नज़रों से मेरे कपड़े उतारे ।
इश्क में माफ , ऐसे गुनाह होते है ,
हर पहर तेरे संग हम तबाह होते है ।

हर पल नशे में , ना कोई हद इसकी,
मेरे लब तेरे जिस्म पे,हर जगह होते है,
हर पहर तेरे संग हम तबाह होते है ।

भूख , तलब , चाहत , प्यास ,
सबको तेरी तलाश रहती है ।
मिलकर ये और बेपनाह होते हैं,
हर पहर तेरे संग हम तबाह होते है ।

उन मदहोश रातो में जब,
हम तुम दरिंदे होते हैं ।
इक दूजे के जिस्म में
हम कैद परिंदे होते हैं ।
मेरी उंगलियां तेरे जिस्म में गुमराह होते है ,
हर पहर तेरे संग हम तबाह होते है ।
#wildlove
#erotica
#TuruLub

© mukesh_syahi