हर पहर तेरे संग हम तबाह होते है
लबों से मेरे चेहरे को सवारे ,
तू नज़रों से मेरे कपड़े उतारे ।
इश्क में माफ , ऐसे गुनाह होते है ,
हर पहर तेरे संग हम तबाह होते है ।
हर पल नशे में , ना कोई हद इसकी,
मेरे लब तेरे जिस्म पे,हर जगह होते है,
हर पहर तेरे संग...
तू नज़रों से मेरे कपड़े उतारे ।
इश्क में माफ , ऐसे गुनाह होते है ,
हर पहर तेरे संग हम तबाह होते है ।
हर पल नशे में , ना कोई हद इसकी,
मेरे लब तेरे जिस्म पे,हर जगह होते है,
हर पहर तेरे संग...