...

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मेरी छोटी छोटी ख्वाहिशें
मेरी छोटी - छोटी ख्वाहिशें,
दब सी गई है
तुम्हारी बड़ी - बड़ी बातों के बोझ तले,
कट रही है अब जिन्दगी जैसे - तैसे
जिसको जीने की चाह थे हम मन में पाले
मेरे सपनों के दरवाजों पर लग गए
झूठे रिवाजों के ताले
मेरी छोटी - छोटी ख्वाहिशें
दब सी गई है
रीतियों के इन बोझ तले
खुली आंखो से देखा करते थे
हम...