...

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इंतजार का पल
लिखने जा रही हूं जिंदगी की कहानी कुछ नहीं कुछ पुरानी
पुरानी रूप में फिर निखार आता है नहीं धूप में फिर तिमर भाग जाता है
तिमर भाग गया यह सोच कर मैं हैरान हूं वह तो मेरे पीछे है इसी से परेशान हूं
परेशानी को खुशी से छुपा रही हूं अपने आंसुओं को कहीं ना कहीं दबा रही हूं
काश कि कोई साथ होता काश एक बार दिल फिर रोता कंधे पर सर रखकर फिर वह मेरे पास होता कहता मुझसे मैं तेरे साथ हूं बंजर जमीन में भी मैं बरसात हूं
रुकना नहीं झुकना नहीं यह आंसू बड़े अनमोल है इन्हें बहा कर टूटना नहीं
हिम्मत मैं बन जाऊंगा तुम्हारे लबों पर फिर वही हंसी लाऊंगा और प्यार से तूमह भर जाऊंगा
पर ये किताब भरने को चली है जिंदगी किसी के लिए कभी ना थमी है
आगे तो चलना है गिर के खुद संभलना है वह बात अलग है कोई हाथ पकड़ ले और अपनी बाहों में जकड़ ले पर इंतजार का फल उतना ही लंबा है जितना अमावस्या में उजाला खैर छोड़ो अब कुछ नहीं होने वाला!!!!!!?